बिहार के सुशासन बाबु मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अच्छी तरह जानते हैं कि राज्य में कानून व्यवस्था अगर ठीक रहा तभी निवेश की बात सोची जा सकती है और तभी लोग बिहार की और का रुख करेंगे, पर सुशासन बाबु के राज्य में वर्ष 2021 में कानून व्यवस्था नीतीश सरकार (Nitish Government) के लिए अचानक से ही सबसे बड़ी चिंता का विषय बन गया है किंतु अभी भी देर नहीं हुई है, जरूरत है सरकार को इच्छाशक्ति जगा कर कुछ कर दिखाने की जिससे लोगों में व्याप्त खौफ खत्म हो सके।
मालूम हो कि पिछले वर्ष बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से लोग किसी बड़े बदलाव की उम्मीद कर रहे थे लेकिन हाल में ही इंडिगो के स्टेशन मैनेजर रूपेश सिंह की सनसनीखेज हत्या (Rupesh Singh Murder) ने एक बार फिर से सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री और डीजीपी दोनों इस तर्क के पीछे छुपना चाहते हैं कि हालिया घटनाओं को सनसनी बनाकर पेश किया गया है। सच्चाई यह कि बिहार अपराध के मामले में देश में 23वें नंबर पर है।
हालांकि ये अलग बात है कि रूपेश की हत्या के पीछे वजह चाहे जो हो लेकिन इस हत्या ने बिहार के शहरी मध्य वर्ग को चिंता में डाल दिया है कि अगर राज्य की राजधानी में ऐसा हो सकता है तो कहीं भी हो सकता है, फिर आम जन सुरक्षित कैसे रहेंगे? इस हत्याकांड ने सत्ता पक्ष इतना हिला दिया कि स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सार्वजनिक तौर पर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को फोन लगाकर हिदायत देनी पड़ी, आम तौर पर ऐसा होता नहीं है कि किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री डीजीपी को हिदायत दे कि आप फोन क्यों नहीं उठाते हैं। आखिर इसकी जरूरत ही क्यों पड़ी!
जाहिर है मुख्यमंत्री दबाव में हैं क्योंकि वो नहीं चाहते कि उनकी ‘सुशासन बाबू’ की छवि में कहीं भी दरार पड़े। नीतीश को जानने वाले कहते हैं कि वो अपनी छवि को लेकर हमेशा ही काफी संवेदनशील रहते हैं। वर्षों से बनाई गई छवि को वो धूमिल होते नहीं देख सकते। इस तरह से एक बार फिर से विपक्ष मुख्यमंत्री के ऊपर दबाव बनाने में सफल होता दिखाई पड़ रहा है। न सिर्फ विपक्षी आरजेडी बल्कि सहयोगी बीजेपी के अंदर भी बहुत से लोग दबी जुबान में बोलने लगे हैं कि उनसे गृह विभाग संभल नहीं रहा, इसलिए गुंडे-बदमाशों का मनोबल बढ़ता है।
वहीं कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि बीजेपी के लोग नहीं चाहते कि गृह विभाग नीतीश के पास रहे। लेकिन सीएम नीतीश के बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से अच्छे संबंध हैं इसलिए ऐसा होता फिलहाल मुमकिन नहीं लगता। वैसे रवायत भी यही है कि गृह विभाग हमेशा ही मुख्यमंत्री के पास ही रहे। बिहार को अब जंगल राज बर्दाश्त नहीं। अब बिहार के लोगों को यह भी मंजूर नहीं कि घर का कमाने वाला घर से बाहर निकले और परिवारवाले उनकी सकुशल घर लौटने की दुआ करें।
