चुनाव की तारीखों के एलान होते ही अब बिहार के सत्ताधारी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सब कुछ फिर पटरी पर लौटता (All is Well) दिखाई पर रहा है। लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) बीते कुछ समय से विद्रोह का झंडा थामे हुए थे, पर अब नरम पड़ते दिख रहे हैं। इसके साथ ही उनके एनडीए छोड़ने के कयासों पर विराम लगता हुआ भी दिख रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार विद्रोह पर उतारू चिराग पासवान के साथ बीजेपी की बातचीत सकारात्मक रही है।पर ऐसे में सवाल यह है कि क्या चिराग मान गए हैं या एनडीए से बाहर जाना उन्हें घाटे का सौदा लगा? सवाल यह भी है कि क्या महागठबंधन या किसी तीसरे मोर्चे में जाने की उनकी संभवना पर विराम लग गया है? हालांकि, इस बाबत एलजेपी का कोई आधिकारिक बयान अभी तक नहीं दिया है।
बीजेपी के साथ बातचीत के बाद चिराग नरम दिख रहे हैं। वैसे तो चिराग की नाराजगी के दो मुख्य मुद्दे पर हैं। पहला तो एनडीए में सीटों के सम्मजनक बंटवारे (Seat Sharing) का है। दूसरा मुद्दा बिहार में बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार से उनके मतभेद का है।हालांकि, अब लग रहा है कि बीजेपी ने बीच का रास्ता (Middle path) निकाल लिया है। एलजेपी को एनडीए में अब विधानसभा की 28 तथा विधान परिषद की दो सीटें देने की बात है।
कम से कम महागठबंधन से जीतनराम मांझी (Jitanram Manjhi) की विदाई के बाद तीसरे मोर्चे के गठन की संभावना को और बल मिल रहा था। वही हाल के दिनों में चिराग के सुर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) से मिलते नजर आ रहे थे। बिहार की नीतीश सरकार (Nitish Government) की आलोचना में वे तेजस्वी की ही लाइन पर चल रहे थे।जेडीयू ने भी चिराग के बयानों के विपक्ष के आरोपों को मजबूती देने का आरोप लगाया था।
चिराग के साथ एक संभावना राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha), जन अधिकार पार्टी (JAP) के अध्यक्ष पप्पू यादव, विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के मुखिया मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) के साथ तीसरे मोर्चे के गठन की भी थी। उपेंद्र कुशवाहा व पप्पू यादव को नीतीश कुमार का विरोध भी चिराग पासवान के करीब लाता दिख रहा था। हालांकि, कुशवाहा के अनिर्णय के हालत में रहने तथा मुकेश सहनी के महागठबंधन में ही संभावनाएं तलाशते रहने के कारण इन दलों को मिला कर तीसरे मोर्चे की संभावना फिलहाल आकार लेती नहीं दिख रही है। तीसरे मोर्चे के गठन की कोशिशें फिर भी जारी हैं, लेकिन चिराग फिलहाल कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं।
बरहाल जो भी हो फ़िलहाल तो चिराग जेडीयू के खिलाफ 143 उम्मीदवार उतारने के फैसले पर भी नरम पड़ चुके हैं। हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में आस्था भी व्यक्त की है।
