बिहार के कांग्रेसी दिग्गज 12 चुनाव लड़कर नौ में जीत हासिल करने वाले, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष रह चुके सदानंद सिंह ने राजनीतिक विश्राम ले लिया है।अबकी बार उन्होंने बेटे शुभानंद मुकेश को मैदान में उतारा है। सदानंद सिंह का भागलपुर की राजनीति पर खासा असर है। फिलहाल कांग्रेस के पास इस जिले की सात में से दो सीटें हैं। तीन पर जद यू और दो सीटों पर राजद का कब्जा है। सदानंद सिंह की कहलगांव सीट से कांग्रेस ने इस बार उनके पुत्र शुभानंद मुकेश को टिकट दिया है। बकौल शुभानंद पिताजी ने चुनावी विश्राम लिया है, राजनीतिक विश्राम नहीं।
यहाँ बता दें कि पिछले चुनाव में ही सदानंद सिंह ने संकेत दे दिया था कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा। कहा जा रहा है कि उम्र को देखते हुए सदानंद सिंह ने खुद को चुनावी राजनीति से दूर कर लिया है। सुल्तानगंज के जदयू विधायक सुबोध राय के बाद सदानंद दूसरे विधायक हैं, जिन्होंने राजनीतिक विश्राम लिया है। संयोग से इन दोनों सीटों पर पहले चरण में चुनाव है। भागलपुर के लोगों की नजरें अब नाथनगर विधायक लक्ष्मीकांत मंडल पर टिकी हैं। बढ़ती उम्र को देखते हुए वह भी विश्राम में जा सकते हैं।
1977 की जनता लहर में भी सिंह ने कहलगांव सीट से जीत दर्ज की थी। इतना ही नहीं पार्टी में विवाद के बाद सिंह ने 1985 में कहलगांव से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। एक बार कांग्रेस के टिकट पर भागलपुर लोकसभा का चुनाव लड़े। हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली। सदानंद सिंह की पहचान बिहार के जमीनी नेताओं में होती है। शुभानंद मुकेश ने बताया कि पिताजी राजनीति में सक्रिय रहेंगे। चुनाव प्रचार भी करेंगे। पार्टी-संगठन को मजबूत करने के लिए काम करते रहेंगे।
कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह का लंबा राजनीतिक सफर रहा है। पहली बार कहलगांव सीट से 1969 में जीत दर्ज कर विधायक बने। 1969 से 2015 तक लगातार 12 बार कहलगांव सीट से चुनाव लड़े और नौ बार जीते। विधानसभा अध्यक्ष के अलावा बिहार सरकार में कई विभागों के मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पर पार्टी में अधिक जिम्मेदारी मिलने के चलते जनता में समय नहीं दे पा रहे थे। इसके चलते चुनावी विश्राम लिए हैं।
